महात्मा बुद्ध का कथन है कि यह जगत एक धोखा है । समय के साथ परिवर्तन निश्चित है,अवश्यंभावी है। समुद्र में आया तूफान कुछ समय पश्चात शांत हो जाता है। रात के बाद दिन, दिन के बाद रात यह चक्र निरंतर चलता रहता है । इंसान जन्म लेता है,शैशवावस्था युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था जैसी अवस्थाओं से गुजरकर अंततः मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। पतझड़ में पत्ते झड़ जाते हैं तो बसंत ऋतु में नए पत्ते वृक्ष को हरा भरा कर उसे मनमोहक बना देते हैं ।अतः परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है, अटल है, अकाट्य है। आइए अनुप्रिया द्वारा रचित परिवर्तन पर बेहतरीन हिंदी कविता|Best Poem on Parivartan ( Change) in Hindi के माध्यम से परिवर्तन की सच्चाई की अनुभूति करें।………
परिवर्तन पर बेहतरीन हिंदी कविता
परिवर्तन
कोई ईश्वर-प्रदत्त
कोई मानव-निर्मित
आने वाले कल के लिए
परिवर्तन, एक अलंकार, एक कृति
नदी का पानी कभी न ठहरा
कल-कल बहता रहता
बचपन, यौवन और बुढ़ापा
चक्र यह चलता रहता
शाश्वत सत्य यही जीवन के
लिखित, सदा संयमित
तरुवर बढ़कर देता छांव
जो कल तक था बीज
जड़-चेतन सब रूप बदलते
क्या मानव, क्या चीज
जीवन का सारा बदलाव
कुछ नियमित, कुछ अनियमित
जग में यह व्यापक बदलाव
धूप लगे कभी छांव
कुछ को लगे स्पर्श नया यह
कुछ के जड़ गए पांव
इसके हर कण- कण की दृष्टि में
कुछ सम्मति, कुछ आपत्ति
राजनीति, साहित्य, कला हो
हो समाज या कोई विज्ञान
परिवर्तन आधारशिला है
जानो तुम इसका संज्ञान
परंपरा निरंतरता की
कभी पूर्ति, कभी क्षति
*****
……’अनु-प्रिया’
Hindi Poem/ Poetry/ Kavita on Parivartan (Change)
Parivartan Per Kavita
koii iishvar-pradatt
koii maanav-nirmit
aane vaale kal ke lie
parivartan, ek alankaar, ek kṛti
nadii kaa paanii kabhii n ṭhaharaa
kal-kal bahataa rahataa
bachapan, yowvan owr budhaapaa
chakr yah chalataa rahataa
shaashvat saty yahii jiivan ke
likhit, sadaa samyamit
taruvar badhakar detaa chhaanv
jo kal tak thaa biij
jad-chetan sab ruup badalate
kyaa maanav, kyaa chiij
jiivan kaa saaraa badalaav
kuchh niyamit, kuchh aniyamit
jag men yah vyaapak badalaav
dhuup lage kabhii chhaanv
kuchh ko lage sparsh nayaa yah
kuchh ke jad gae paanv
isake har kaṇ- kaṇ kii dṛshṭi men
kuchh sammati, kuchh aapatti
raajaniiti, saahity, kalaa ho
ho samaaj yaa koii vijñaan
parivartan aadhaarashilaa hai
jaano tum isakaa sanjñaan
paramparaa nirantarataa kii
kabhii puurti, kabhii kshati
……. ‘Anu-priya’
***
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