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भगवान श्री कृष्ण पर बेहतरीन हिंदी कविता/ शायरी | Krishna Janmashtami Kavita

सनातन संस्कृति के प्रमुख त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। द्वापर युग के युगपुरुष कहे जाने वाले श्री कृष्ण जी विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं जिन्हें माधव केशव, गोपाल, गोविंद, वासुदेव, लड्डू गोपाल, कन्हैया, श्याम, द्वारकाधीश और न जाने कितने ही नामों से जाना जाता है। कृष्ण प्रेमी भी है, महायोगी भी। नटखट भी और गंभीर भी। कलाकार भी, योद्धा भी। वे ऐसे अवतार हैं जो जीवन के हर रंग को, हर ढंग को अपने में समाहित किए हुए हैं। 16 कलाओं में निपुण भगवान कृष्ण की लीलाएं बहुत अद्भुत एवं चमत्कारी थी। उनके दिए गए गीता के उपदेश में तो पूरे जीवन का सार छिपा है। इस कविता के माध्यम से उनकी जीवन लीलाओं की झांकी प्रस्तुत की गई है। हमें आशा है कि आपको इसमें उनकी मुरली की मधुर धुन अवश्य सुनाई पड़ेगी। आपको यह कविता भगवान श्री कृष्ण पर बेहतरीन हिंदी कविता/ शायरी | Krishna Janmashtami Kavita  कैसी लगी, कमेंट कर अवश्य बताएं और पसंद आने पर इसे आगे प्रेषित करें।

भगवान श्री कृष्ण पर बेहतरीन हिंदी कविता/ शायरी 

 


कृष्ण लीला पर कविता
Bhagwan Krishna per khubsurat Kavita | कृष्ण भगवान पर खूबसूरत कविता | कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल कविता || bolo kahan nahin milta | poetry written by Anupriya

भगवान कृष्ण पर खूबसूरत कविता

कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल कविता

(बोलो कहां नहीं मिलता)

जिसकी मर्जी के बिना 
एक पत्ता तक नहीं हिलता,
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता।


वो मुरली बजाने वाला
नटखट सा नंदलाला
वो छोटा सा बृजबाला
वो मन को हरने वाला
लीला कर माटी चबाए 
मुंह में ब्रह्मांड दिखाए
चोरी कर माखन खाए
छिप मंद-मंद मुस्काए
देखने को मां यशोदा का लल्ला को
ऐसा दुलार नहीं मिलता ।
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।


वो मोहिनी सूरत वाला
वो धेनु चराने वाला
टोली संग घूमने वाला
दही-हांडी फोड़ने वाला
ज्यों मुरली अधर लगाए
ग्वालिन सब दौड़ी जाएं
सुध तन-मन निज बिसराए
रट हरदम यही लगाएं
जय कन्हैया लाल सा दूजा 
कोई जयकार नहीं मिलता।
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।

कभी राधा का सांवरिया
कभी मीरा का गोपाला
वो गोवर्धन पर्वत को
उंगली पर उठाने वाला
नागराज का दर्प चूर कर
फन उसके नाच नचाए
वह चंचल चितवन प्रीतम
गोपी संग रास रचाए
वृंदावन का कण-कण डोले
गोकुल भी नित- नित खिलता ।
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।


चौसठ गुणों का स्वामी
कंस वध करने वाला
छप्पन भोगों का स्वादी
तंदुल भी चखने वाला
पांचाली की लाज बचाए
बन सारथी पार्थ के छाए
गीता उपदेश सुनाए
सत्य को जीत दिलाए
बतलाया उस योगीराज ने
कर्म पर ही टिकी सफलता ।
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।


हर अटकन को सुलझाता
भटकन से मन को छुड़ाता
गढ़कर कितने रूपों को
सब रूपों में रम जाता 
भक्ति रसधार नहाए
वो प्रेम फुहार बरसाए
कैसी ये उसकी लीला
कोई जन समझ ना पाए
वो अलबेला सरकार हमारा
लगे प्यारी निश्छलता ।
कण-कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।

हम भक्तजनों की विकलता से
उस प्रभु का मन भी पिघलता ।
कण कण में है समाया वो
बोलो कहां नहीं मिलता ।।
                                     ……. ‘अनु-प्रिया’
 Krishna Janmashtami Kavita 
Bolo kahan nahi milta
jisakii marjii ke binaa 
ek pattaa tak nahiin hilataa,
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa.


vo muralii bajaane vaalaa
naṭakhaṭ saa nandalaalaa
vo chhoṭaa saa bṛjabaalaa
vo man ko harane vaalaa
liilaa kar maaṭii chabaae 
munh men brahmaanḍ dikhaae
chorii kar maakhan khaae
chhip mand-mand muskaae
dekhane ko maan yashodaa kaa lallaa ko
aisaa dulaar nahiin milataa .
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..


vo mohinii suurat vaalaa
vo dhenu charaane vaalaa
ṭolii sang ghuumane vaalaa
dahii-haanḍii phodane vaalaa
jyon muralii adhar lagaae
gvaalin sab dowdii jaaen
sudh tan-man nij bisaraae
raṭ haradam yahii lagaaen
jay kanhaiyaa laal saa duujaa 
koii jayakaar nahiin milataa.
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..

kabhii raadhaa kaa saanvariyaa
kabhii miiraa kaa gopaalaa
vo govardhan parvat ko
ungalii par uṭhaane vaalaa
naagaraaj kaa darp chuur kar
phan usake naach nachaae
vah chanchal chitavan priitam
gopii sang raas rachaae
vṛndaavan kaa kaṇ-kaṇ ḍole
gokul bhii nit- nit khilataa .
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..


chowsaṭh guṇon kaa svaamii
kams vadh karane vaalaa
chhappan bhogon kaa svaadii
tandul bhii chakhane vaalaa
paanchaalii kii laaj bachaae
ban saarathii paarth ke chhaae
giitaa upadesh sunaae
saty ko jiit dilaae
batalaayaa us yogiiraaj ne
karm par hii ṭikii saphalataa .
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..


har aṭakan ko sulajhaataa
bhaṭakan se man ko chhudaataa
gadhakar kitane ruupon ko
sab ruupon men ram jaataa 
bhakti rasadhaar nahaae
vo prem phuhaar barasaae
kaisii ye usakii liilaa
koii jan samajh naa paae
vo alabelaa sarakaar hamaaraa
lage pyaarii nishchhalataa .
kaṇ-kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..

ham bhaktajanon kii vikalataa se
us prabhu kaa man bhii pighalataa .
kaṇ kaṇ men hai samaayaa vo
bolo kahaan nahiin milataa ..

                                       …….. ‘Anu-priya’
   ***   
कृष्ण शायरी स्टेटस
Bhakti shayari
बेवजह तो नहीं तेरे वजूद को नापने की फितरत मेरी
कि मैंने तुम्हें हर रोज मशहूर होते हुए देखा है
 कितनों के सारथी बन खड़े हो जाते हो दुनिया में मगर 
कितनों को तेरे आगे मजबूर होते हुए देखा है
भगवान कृष्ण शायरी
Bewajah to nahin tere wajood ko napne ki fitrat meri
Ki maine tumhen har roj mashhur hote hue dekha hai 
kitno ke sarthi ban khade ho jaate Ho duniya mein Magar
 kitno Ko tere aage majbur hote hue dekha hai
***

Vah maujud hai har Lamhe har manjar mein surili bansuri aur dhardar khanjar mein nadiyon ko Sukha registan kar de aur Lahlahan de fasal bhi sukhe  banjar meinBhakti


वह मौजूद है हर लमहे, हर मंजर में 
सुरीली बांसुरी और धारदार खंजर में 
नदियों को सुखा रेगिस्तान कर दे 
और लहलहा दे फसल भी सूखे बंजर में

Vah maujood hai har Lamhe, har manjar me
Surili bansuri aur dhardar khanjar mein
Nadiyon ko Sukha registan kar de
Aur Lahlaha de fasal bhi sukhe banjar me

***

कृष्ण प्रेम शायरी

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प्रीत लगा कर रख सांवरे से तू 
चाहे बिना कि सब कुछ मिलता यहां है 
राधा संग खड़े दिखे होंगे कन्हैया 
मीरा संग श्याम का मंदिर दिखता कहां है
कृष्ण भगवान पर शायरी


Preet Laga kar rakh sanware se tu
Chahe Bina ke sab kuchh milta yahan hai
 Radha sang Khade dikhe honge Kanhaiya
 Meera sang Shyam ka Mandir dikhta kahan hai
***
कृष्ण प्रेम शायरी दो लाइन
राधा के प्रेम से जो बंधे हुए हैं
वही सरकार नीति-रीति से सधे हुए हैं

Radha ke Prem se jo bandhe hue Hain 
Vahi Sarkaar Neeti- Reeti se sadhe hue hain

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जब भी प्रेम के बारे में कोई पूछता है
बस हर तरफ कान्हा संग राधा नाम गूंजता है

Jab bhi Prem ke bare mein koi puchta hai
Bus har taraf ka Kanha sang Radha Naam ghunjta hai

***


‘कान्हा-कान्हा’ लिखती रही राधा कोरे कागज पर
प्रेम को बस लिखकर ही मशहूर कर दिया

‘Kanha-Kanha’ likhati Rahi Radha kore kagaj per
Prem Ko Bas likhkar hi mashhur kar Diya

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कृष्ण से शुरू होकर कृष्ण पर खत्म
राधा की दुनिया छोटी होते हुए भी कितनी बड़ी है

Krishna se shuru hokar Krishna per khatm Radha ki duniya chhoti hote hue bhi kitni badi hai

***


मीरा को बस धुन लगी है गिरधर तेरे नाम की
अपने चित्त में तुझको धरकर खुद फिरती बेनाम सी
Meera Ko Bas Dhun lagi hai Girdhar tere Naam ki
Apne Chitta mein tujhko Dharkar khud firti benaam si

***


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1 Comment

  • Anu August 22, 2022

    Very effective and nice…asardaar

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