Bhagwad Geeta Quotes in Hindi
भगवत गीता के उपदेश
Best Geeta Quotes with Images
श्रीमद्भगवत गीता, विश्वास, ज्ञान और नैतिकता के महाप्रमाणिक ग्रंथों में से एक है। यह महाभारत के महत्वपूर्ण भाग के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह विभिन्न उपदेशों का संकलन है जो भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को मिले। भगवत गीता में नैतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक मुद्दों पर विस्तारपूर्वक चर्चा होती है। यहां आपके साथ भगवत गीता के कुछ महत्वपूर्ण उपदेश साझा किए जा रहे हैं:-
गीता सार
भगवत गीता के अनमोल वचन
Motivational Geeta Quotes in Hindi
Famous Bhagavad Gita quotes in Hindi
गीता ज्ञान (गीता के 10 प्रमुख उपदेश) सरल शब्दों में—
1-कर्म करो और फल की आशा न करो:
भगवत गीता का महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें अपना कर्तव्य करने के लिए प्रेरित होना चाहिए, परन्तु फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
हमें अपनी कर्मभूमि में निष्ठा और समर्पण लाना चाहिए, फल को ईश्वर के हाथ में छोड़ बस कर्म करते रहना चाहिए।
कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।
2-अहंकार को त्यागो:
भगवत गीता कहती है कि अहंकार हमारे सुख और दुःख का मूल है।
हमें अपने अहंकार को त्यागकर सच्चे स्वरूप को पहचानना चाहिए। यह सच्चे सुख की प्राप्ति में मदद करता है।
Bhagwad Geeta Quotes in Hindi
3-सबका सम्मान करो-
जीवन में सबका सम्मान करना चाहिए, चाहे वह कोई भी हो।
सभी मनुष्यों को एक समान रूप में देखना चाहिए।
4-सत्य और न्याय का पालन
सत्य और न्याय का पालन करना चाहिए। सत्य का पालन करने से जीवन में शांति मिलती है।
सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं लेकिन झूठ हमेशा अपने सत्य होने का दावा करता है
जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।
5-मानव कल्याण
श्रीमद भागवत गीता का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण करना है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सदैव मानव कल्याण की ओर अग्रसरित रहना चाहिए।
6-समय और भाग्य का महत्व
किसी भी व्यक्ति को न तो समय से पहले और न ही भाग्य से अधिक कुछ मिलता है। लेकिन उसे सदैव पाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
गीता सार
7-जन्म और मृत्यु का चक्र
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उसी प्रकार निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए इस विषय पर शोक मनाना व्यर्थ है।
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है।
मनुष्य का सम्पूर्ण शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी। और अंत में उसके शरीर को इन्हीं पंचतत्वों में ही विलीन हो जाना है।
8-योग का महत्व
मानसिक शांति के लिए ध्यान और ध्येय की आवश्यकता होती है। अपने को ब्रह्मा में विलीन करके सच्चिदानंद परमात्मा को अनुभव करना चाहिए।
संयम , सदाचार , सेवा , स्नेह । ये गुण बिना सत्संग के नही आते.
मन की शांति से बढ़कर इस संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है।
9-धर्म का पालन
धर्म का पालन करना चाहिए और अधर्म से दूर रहना चाहिए। अपने धर्म का पालन करके ही एक व्यक्ति सच्चे स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है।
10-परिवर्तन -अटल नियम
परिवर्तन ही इस सम्पूर्ण संसार का नियम है। इसलिए व्यक्ति को कभी अपने वर्तमान पर घमंड नहीं करना चाहिए।
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
गीता सार (संक्षिप्त में)
आज के मानव के लिए उपयोगी बातें—-
Shrimad Bhagwad Geeta Quotes in Hindi
श्रीमद भगवत गीता के उपदेश
- “अपकीर्ति, मृत्यु से भी बुरी है।”
- ” संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही कहीं और “
- “मेरा-तेरा,बडा-छोटा, अपना-पराया सब मन से मिटा दो। फिर तुम सबके हो और सब तुम्हारा है।”
- “पृथ्वी पर पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता-जाता रहता है।”
- “सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है। पहला है- कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प “
- “मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।”
- “मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।”
- “ज्ञान का प्राप्ति करो और अज्ञानता को नष्ट करो।”
- “शुद्ध भाव से अपने कर्तव्य का पालन करो।”
- “समत्व में स्थित रहो, उत्पत्ति-विनाश के लिए चिन्ता न करो।”
- “योग के माध्यम से मन को संयमित करो।”
- “श्रद्धा के साथ भगवान की आराधना करो।”
- “कामनाओं के द्वारा बंधन में न पड़ो।”
- शान्त और स्थिर मन से सब कार्य करो।
- “अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करो और आत्मा का साक्षात्कार करो।”
- “ब्रह्मचर्य के अनुशासन का पालन करो।”
- “जीवन को एक कर्तव्य मानो और उसे अर्पण करो।”
- “ब्रह्म को प्राप्त करने के लिए मन को संयमित करो।”
- “दुःख और सुख को समान भाव से स्वीकार करो।”
- “अहंकार को त्याग करो और समस्त जीवों में समत्व रखो।”
- “जीवन का एक मात्र सत्य है वो है -मृत्यु”
- “गुस्से पर काबू करना चाहिए क्योंकि क्रोध से व्यक्ति का नाश हो जाता है।”
- “जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।”
श्रीमद भगवत गीता के 10 प्रसिद्ध श्लोक और उनके भावार्थ–
Best Geeta Quotes in Sanskrit & Hindi—
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
भावार्थ–
हे अर्जुन! जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा। तो उसका विनाश कर धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु, मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा।
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नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
भावार्थ–
आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।
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भगवत गीता के अनमोल वचन
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
भावार्थ : –
तेरा कर्म करने में अधिकार है इनके फलों में नही। तू कर्म के फल प्रति असक्त न हो या कर्म न करने के प्रति प्रेरित न हो।
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नास्ति विद्या समं चक्षु नास्ति सत्य समं तप:।
नास्ति राग समं दुखं नास्ति त्याग समं सुखं॥
भावार्थ : –
विद्या के समान आँख नहीं है, सत्य के समान तपस्या नहीं है, आसक्ति के समान दुःख नहीं है और त्याग के समान सुख नहीं है ।
परान्नं च परद्रव्यं तथैव च प्रतिग्रहम्।
परस्त्रीं परनिन्दां च मनसा अपि विवर्जयेत।।
भावार्थ :-
पराया अन्न, पराया धन, दान, पराई स्त्री और दूसरे की निंदा, इनकी इच्छा मनुष्य को कभी नहीं करनी चाहिए
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Life Bhagvat Geeta Quotes in Hindi
क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
भावार्थ:
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि गुस्सा करने से दिमाग कमजोर होता है और व्यक्ति की याददाश्त पर भी असर पड़ता है। जब किसी मनुष्य की बुद्धि खराब हो जाती है तो उसका विनाश होना प्रारंभ हो जाता है।
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बहूनि में व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परंतप॥
भावार्थ:
श्री कृष्ण कह रहे हैं कि हे अर्जुन! हमारा सिर्फ यही जन्म नहीं है बल्कि हम इससे पहले भी हज़ारों जन्म ले चुके हैं। तुम्हारे कई जन्म हो चुके हैं और मेरे भी परंतु मुझे अपने सभी जन्मो का ज्ञान है और तुम अपने सभी जन्मों से अंजान हो।
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
भावार्थ:
श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं कि हे अर्जुन दुनिया के सभी धर्मों को छोड़कर अर्थात सभी प्रकार की मोह माया का परित्याग कर तुम मेरी शरण में चले आओ क्योंकि मैं ही तुम्हें तुम्हारे पापों से मुक्ति दिलाने में सक्षम हूं। इसलिए व्यर्थ में चिंता मत करो।
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हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
भावार्थ:
श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन ! यदि युद्ध करने के दौरान तुम वीरगति को हासिल हो जाते हो तो तुम्हें स्वर्गलोक प्राप्त होगा और अगर युद्ध तुम जीत जाते हो तो भी इस धरती पर राजसी ठाठ-बाट के अधिकारी होगे। इसलिए दृढ़ निश्चय कर युद्ध के लिए शस्त्र उठाओ।
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
भावार्थ:
श्री कृष्ण कह रहे हैं कि हे अर्जुन ! एक श्रेष्ठ व्यक्ति के द्वारा जो कर्म किया जाता है उसका अन्य व्यक्तियों के द्वारा भी अनुसरण किया जाता है। ऐसा व्यक्ति जो भी काम करता है अन्य लोग भी उसके काम को सही मानते हैं और वैसा ही काम करते हैं। अत: श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए।
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भगवदगीता के ये सभी वचन अमृत के समान हैं। जो भी मनुष्य अपने जीवन में इन उपदेशों का अनुसरण करता है, उसका चरित्र और व्यक्तित्व उत्तम होता है और वह इस लोक और परलोक में भटकता नहीं है।