राजनीति एक मजबूत और संवेदनशील राजनीतिक प्रणाली एक विकसित और मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर कभी-कभी राजनीति भ्रष्टाचार, जातिवाद, दंगाइयों का समर्थन, नेताओं की दुराचारी, वोट बैंक और दलाली, जातिगत आरक्षण, भाषाई विवाद, धर्म-राष्ट्रवाद, अवैध धन और लोकतंत्र में कमी जैसी सामाजिक बुराइयों का घर बन जाती हैं। कुछ इसी भावना को अनुप्रिया द्वारा लिखित इस कविता Poem on Politics in Hindi 2024| गंदी राजनीति पर कविता के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
Poem on Politics in Hindi
राजनीति पर बेहतरीन हिंदी कविता
राजनीति की कुर्सी
यह कुर्सी भी कितनी दलाल बन गई,
जाते जाते कितना गोलमाल कर गई।
अब तक सजती थी जिनकी चौपाले यहां,
उनके खिलाफ ही हड़ताल कर गई।
इलाका थर्राता था कभी दहशत से जिनके,
उन शेरों को अब यह घड़ियाल कर गई।
लिबास ओढ़े रहती है शराफत का हरदम,
न जाने कितनों के लिए मिसाल बन गई।
जादू भरा है नस-नस में इसकी,
कितनों के मन में यह उबाल कर गई।
उतरे जो इससे वह भूत हो गए,
बैठे जो उसका भविष्य काल हो गई।
राजनीति की कुर्सी का भी जवाब नहीं साहिब,
किसी को भौकाल,किसी को कंगाल कर गई।।